नैतिक शिक्षा
कुम्हार जब मिट्टी के बर्तन बनाता है तो वह उनको अलग-अलग आकृति देता है उनको अपने अनुरूप ढालता है। उस समय वह स्वतंत्र हैं के उस बर्तन को कैसा आकार दिया जाए किस प्रकार की बनावट रखी जाए लेकिन जब वह उस बर्तन को एक बार भट्टी में तपा देता है तो उसके बाद उसमें बदलाव करना कठिन है।
इसी प्रकार (बाल्यावस्था) बचपन भी होता है उस समय एक बच्चे के व्यक्तित्व को बड़ी ही सरलता से जैसा मर्जी ढाला जा सकता है जो संस्कार देने चाहे सरलता से दिए जा सकते हैं। उस समय यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम उस बच्चे को मात्र एक धन अर्जित करने वाला उपकरण बनाना चाहते हैं या फिर उसे एक सुखद स्वतंत्र और संतुष्ट जीवन व्यतीत करने वाला अपनी योग्यताओं का समुचित प्रयोग करने वाला और राष्ट्र के लिए भी कल्याणकारी सिद्ध होने वाला व्यक्ति बनाना चाहते हैं।
उस समय आप उसे जिस और प्रेरित करेंगे वह उस दिशा में बढ़ेगा...लेकिन यदि उसे केवल धन्य संपदा अर्जित करने के तरीकों से ही अवगत कराया गया... तो यह उसके साथ अन्याय ही होगा और जब तक उसे यह समझ आएगा कि जो मैं अब तक कर रहा हूं वह मुझे बाहरी स्तर पर तो समृद्ध दिखा सकता है लेकिन अंदरूनी स्तर पर समृद्धि के लिए कुछ अन्य ही उपाय करने होंगे तब तक वह अपना बहुत समय खो चुका होगा और हो सकता है कुछ ऐसी परिस्थितियों से भी वह घिर जाए जिनसे बाहर आना उसके लिए बड़ा ही कठिन हो......
इस प्रकार की स्थिति से सर्वथा पृथक रहने के लिए आपको जड़ों पर कार्य करना होगा और वह है एक प्राथमिक (व्यावहारिक आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा) जो हम एक बच्चे को दे सकते हैं उसे उसके व्यक्तित्व का हिस्सा बना सकते हैं फिर जब वह उन संस्कारों को लेकर आगे बढ़ेगा और उन सब संस्कारों में अपने अनुभवों को भी जोड़ कर और अधिक विकसित और परिष्कृत रूप में उसे आगे संप्रेषित करेगा तो यह श्रंखला हमारे पूरे समाज को व्यवस्थित कर देगी।
इस दिशा में थोड़ा सोचें और अपनी अपनी क्षमता और सुविधा के अनुसार इस प्रकार के कार्यों में सहयोग करें ...... अपने घरों में इस प्रकार का माहौल बनाएं और योग के वास्तविक अर्थ को सार्थक करें...... क्योकि योग अनेक विधियों के माध्यम से अंत मे हमारे जीवन की पूर्ण व्यवस्था और और सार्थकता का ही नाम है.....
Sona_mehta
20-Jan-2024 03:19 PM
👌👌
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Naveen Yadav
13-Aug-2022 04:46 PM
Very very Nice
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Milind salve
21-Jul-2022 12:35 AM
शानदार
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